क्या बांग्लादेश की सेना की नाराजगी बनी वजह, किन बातों पर टकराव, आगे क्या?

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। बीबीसी की बांग्ला सेवा ने गुरुवार आधी रात को छात्रों के नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख एनहिद इस्लाम के हवाले से यह खबर दी। इसमें कहा गया कि यूनुस को लगता है कि राजनीतिक दलों के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण काम करना मुश्किल हो रहा है।
नाहिद इस्लाम ने मीडिया समूह से कहा, ‘हम आज सुबह से सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं। इसलिए मैं उस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर से मिलने गया था। सर ने भी यही कहा कि वे इस बारे में सोच रहे हैं। उन्हें लगता है कि स्थिति ऐसी है कि वे काम नहीं कर सकते।’ गौरतलब है कि नाहिद इस्लाम अंतरिम सरकार में शुरुआत में खुद यूनुस के सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं। हालांकि, इसी साल उन्होंने यूनुस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने का एलान कर दिया था।
किस बात पर विवाद?
बांग्लादेश में हाल के समय में सियासी और सैन्य स्तर पर काफी हलचल की स्थिति है। ताजा विवाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरफ से अपने विदेश सचिव को हटाने को लेकर उभरा है, जिसे महज आठ महीने पहले ही इस पद पर नियुक्त किया गया था।
ये विवाद हुआ क्यों?
विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन, जिन्हें सितंबर 2024 में बांग्लादेश के 27वें विदेश सचिव के तौ पर नियुक्ति मिली थी, उन्होंने हाल ही में यूनुस सरकार के एक फैसले का विरोध किया था। यह फैसला था- रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश में सुरक्षित पनाह देने और उनके लिए मानवीय कॉरिडोर बनाए जाने का। बताया जाता है कि मोहम्मद यूनुस और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) खलील-उर रहमान रोहिंग्याओं की मदद के लिए यह योजना लेकर आए थे।
सेना से कैसे जुड़े विवाद के तार?
जशीम-उद्दीन की तरफ से यूनुस की योजना का विरोध इस पूरे विवाद में अहम कड़ी साबित हुआ। दरअसल, बांग्लादेश की सेना भी अपने देश से म्यांमार के रखाइन तक जाने वाले कॉरिडोर का विरोध कर चुके हैं। रखाइन वही इलाका है, जहां से भागकर रोहिंग्या बांग्लादेश और अन्य देशों पहुंच रहे हैं। बांग्लादेशी सेना का मानना है कि म्यांमार से यह कॉरिडोर सिर्फ बांग्लादेश की स्वायत्तता को ताक पर रख रहा है, जबकि इससे उसे कोई कूटनीतिक फायदा नहीं हो रहा।