AAP ने उठाया यूपी में सरकारी स्कूलों को बंद करने की मामला, राज्यसभा में चर्चा के लिए दिया नोटिस

नई दिल्ली:  उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर सरकारी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) ने अब संसद तक मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस मुद्दे को लेकर सोमवार को राज्यसभा में नियम 267 के तहत नोटिस देकर चर्चा की मांग की है। उन्होंने कहा कि स्कूल बंद करना शैक्षिक सुधार नहीं है, बल्कि ये बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। संजय सिंह द्वारा मानसून सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में दिए गए इस नोटिस को सभापति ने संज्ञान में लिया है। संजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि बच्चों के स्कूल को बचाने की लड़ाई सड़क से लेकर संसद तक जारी रहेगी। शैक्षिक सुधार का मतलब स्कूल बंद करना नहीं, बल्कि उन्हें बेहतर बनाना होना चाहिए।

स्कूल बंदी से जुड़ी गंभीर चिंताएं
संजय सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि उत्तर प्रदेश में हजारों सरकारी स्कूल या तो बंद किए जा चुके हैं या फिर बंद होने की प्रक्रिया में हैं। अकेले यूपी में अब तक 10,827 प्राथमिक विद्यालयों का विलय हो चुका है और 25,000 से अधिक स्कूल पूरी तरह से बंद किए जा चुके हैं। इसके अलावा 5,000 और स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया जा चुका है। मामले में संजय सिंह का आरोप है कि स्कूल बंद होने का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण, दलित, पिछड़े और आदिवासी समुदाय के बच्चों पर पड़ रहा है। इन बच्चों को अब पढ़ाई के लिए 3 से 4 किलोमीटर या उससे ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है। इससे शिक्षा उनकी पहुंच से बाहर होती जा रही है।

शिक्षकों की भारी कमी
संजय सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में 1.93 लाख शिक्षकों के पद खाली हैं। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में भी हजारों पद खाली हैं। कुछ स्कूलों में एक ही शिक्षक पूरी पढ़ाई संभाल रहा है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ राष्ट्रीय शिक्षा नीति और डिजिटल पढ़ाई की बात करती है, लेकिन जमीन पर स्कूलों को बंद किया जा रहा है। यह पूरा मामला बच्चों के शिक्षा के अधिकार (आरटीई) और संविधान के अनुच्छेद 21A का उल्लंघन है, जिसमें हर बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया है।

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